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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 28



कमलेश  गुस्से में चरण  सिंह  के घर  आता  और पूछता  की आखिर  किसने आ  कर  दी है  आप लोगो को इस तरह  की खबर ।


नैंसी जो की वही  खड़ी  थी  थर  थर  कांप रही  थी । कमलेश  को इस तरह  गुस्से में देख ।

ठण्ड  रखो  साले साहब  थोड़ी  ठण्ड  रखो  इस तरह  गुस्सा करोगे  तो सेहत  के लिए  हानिकारक होगा। आराम  से बैठ  जाइये और पानी पीजिये।

"ए अर्जुन  की माँ जरा  किसी नौकर  से कह  कर अपने भाई  के लिए  नाश्ता पानी तो मँगाओ  जरा , देखो  कितना काम करता  है  बेचारा  इतनी भी  खबर  नही रहती  की अपने ही थाने  में उसके नीचे  काम करने  वाले लोग उसी की नाक के नीचे  उसी के रिश्तेदारों को चोट  पहुंचाने  की साज़िश  रच  रहे  है  और ये भाई साहब  समझते  है  की सब  लोग इनसे डरते  है  " चरण  सिंह  ने ताना मारते हुए  कहा

कमलेश  वहा  खड़े  एक नौकर  का गिरेहबान पकड़  कर  उसपर  अपना गुस्सा निकालते हुए  कहता  है  " बता  मुझे  आखिर  मेरी नाक के नीचे  क्या खेल  खेला  जा रहा  है , बता  वरना  यही  मार दूंगा  "

"सा,,,, सा,,,, सा,,, साहब  मैं कुछ  नही जानता मुझे  छोड़  दीजिये मैं तो इस घर  का नौकर  हूँ " उस पिट रहे  आदमी  ने कहा


"छोड़  दो उसे साले साहब  वो सही  कह  रहा  है , तुमने गलत  आदमी  को पकड़  लिया है  इस बार भी, तुम्हारे दिमाग़ ने काम करना छोड़  दिया है  अब, ऐसा करो  अपने काम से इस्तीफ़ा लो और जो ज़मीन  तुमने मुझसे  खैरात  में ली है  उस पर  खेती  करो  ये पुलिसगिरी  तुम्हारे बस  की नही रही  अब " चरण  सिंह  ने कहा


"बस  जीजा  जी बस  अब बहुत  हुआ, आप  मुझे  उस शख्स  से मिलवा दीजिये जिसने आपको  आ  कर  बताया  है  बाकी मेरा काम है  उससे जानना की वो सच  कह  रहा  है  या झूठ , झूठ  ही बोल रहा  होगा क्यूंकि किसी में इतनी हिम्मत नही जो मुझसे  टकराये  वो भी  थाने  में " कमलेश ने कहा


"तो मिल लो उससे और अपने कानो से अपनी नाकामी की दास्तां सुनो, तुम्हारे पीछे  ही खड़ी  है  वो, एरी नर्स बता  इसको जो कुछ  भी  तूने  अभी  हमें बताया  था " चरण  सिंह  ने कहा


कमलेश  ये सुन पीछे  मुड़ा और उसकी तरफ  देख  कर  बोला " वाह अस्पताल की नर्स में इतनी हिम्मत की एक पुलिस  वाले के खिलाफ  बोल रही  है , सच  सच  बता  तू झूठ बोल रही  है  ना "

नेन्सी डरते  हुए  कभी अपनी नज़रे  झुकाते  हुए  तो कभी  अपनी नज़रे  कमलेश  से मिलाते हुए  बोली " साहब  मेरा बेटा बीमार है  मैं उसकी कसम  खाती  हूँ, मैं सच  कह  रही  हूँ, मेने खुद  अपने कानो से सुना था  की वो आदमी  उस लड़की से कह  रहा  था  की थाने  के एक पुलिस  वाले को वहा  एक सबूत  मिला है  जिसने उसे जाँच  के लिए  भेजा  है  और वो जल्द ही आ  जाएगा "


"सतवीर , सतवीर  मुझे  पता था  की तू  ही होगा, तेरी ईमानदारी पर  मुझे  शक था कि तू  जरूर  कुछ  ना कुछ  करेगा । तूने  मुझसे  झूठ  कहा  कि उस बोतल से निशान  मिट गए  है  अब मिटेगा तेरा नामो निशान  इस थाने  से भी  और इस दुनिया से भी । अब तुझे  तेरे किए  की सजा  मैं देकर  रहूंगा । इसलिए तू  आज  उस लड़की  का बयान  लेने गया  की कही  कोई और उस बयान  में तब्दीली  ना करदे । लेकिन मेने भी  कच्ची  गोलिया नही खेली  है  अब तू  देख  तेरा खेल  तुझ  पर  ही उल्टा पड़  जाएगा।" कमलेश  ने नैंसी की बात बीच  में ही काटते हुए  कहा


"साहब  मैं जो जानती थी  मेने बता  दिया अब मुझे  जाने दीजिये मेरा बेटा घर  पर  अकेला है  और मुझे  कुछ  पैसे दे दीजिये ताकि अपने बेटे का इलाज करा सकूँ शहर  जाकर वही  मेरा आखिरी  सहारा  है  जीवन  का अगर  उसे कुछ  हो गया  तो मैं जीते  जी मर जाउंगी।" नैंसी ने रोते हुए  कहा


"ठीक  है , ठीक  है  ये पकड़  पैसे और शहर में चली  जा और अपना मुँह बंद  रखना  यहाँ जो कुछ  भी  हुआ, सुना तूने  देखा  सब  यही  छोड़  कर  जाना अगर मुझे भनक भी  लग  गयी  की तूने  बाहर  किसी को कुछ  बताया  है  तो तेरी खेर  नही शहर  में या फिर  इस पूरी  धरती पर  कही  भी  तू  छुपी  होगी वही  से तुझे  ढूंढ  कर  ले आएंगे मेरे आदमी  और तुझे  और तेरे बेटे को यही  इस हवेली  में ज़िंदा गढ़वा  दूंगा  समझी  अब निकल  यहाँ से और इस गांव में नज़र  मत  आना  अब कभी  भी  " चरण  सिंह ने कहा पैसे देते हुए 


"शुक्रिया मालिक, मैं अब गांव में बिलकुल भी  नज़र  नही आउंगी  मैं अभी  गाड़ी पकड़  कर  शहर  चली  जाउंगी अपने एक दोस्त के घर , धन्यवाद  मालिक " नैंसी ये कह  कर  वहा से चली  गयी  हाथ  में नोटों का भरा  थेला लेकर



अर्जुन, कमलेश  के पास आता  और कहता  " अब क्या होगा मामा, अब वो स्पेक्टर तो मेरे बारे में जान जाएगा फिर  मुझे  पुलिस  ले जाएगी और फिर  सजा  होगी मुझे  बचा  लो मामा "


"नालायक  पहले  गलती  पर गलती  करता  है  और अब चूहो की तरह  बिल में घुसने के बहाने  ढूंढ  रहा  है  तुझे  तो मैं पैदा होते ही मार देता तो अच्छा था, इस तरह  मुझे  डर  खौफ  के साये में तो जीना  नही पड़ता " चरण  सिंह  ने कहा अर्जुन से गुस्से में

अर्जुन की माँ अर्जुन के पास आती  और उसे गले  से लगाकर अपने भाई  कमलेश  से कहती  " ए कमलेश कछु  कर  ना क्या तेरे हाथ  में अब कुछ  नही रहा ,क्या तू  हम  सब  को जैल  की सलाखों  के पीछे  देखना  चाहता  है  अपने जीजा  और भांजे  को, कुछ  कर  इस मुसीबत  से अपने परिवार  को निकाल "

ये सुन चरण  सिंह  अपनी पत्नि की बात को काटते हुए  कहते  है  " इससे अब कुछ  नही हो सकता , अब बाज़ी इसके हाथ  से निकल चुकी  है । लेकिन याद रखना  अगर हम  सब  फसेंगे  तो फसेगा  तू  भी , क्यूंकि तू भी  इन सब  में उतना ही भागीदार  है  जितना की हम  "

"मैं भागीदार  हूँ, नही जीजा जी, नही सारी गलती आपकी  है  आपने  अपने बेटे का साथ  दिया इसमें मेरा कोई कसूर  नही " कमलेश  ने कहा

"अच्छा, साले साहब  अपने भांजे  को बचाने के चक्कर  में जो ज़मीने  अपने नाम कराई  थी  वो सब  भूल  गए  और सब  करी धरी हमारे  उपर  डाल रहे  हो वाह साले साहब  वाह, सही  कहा  है  बढ़े बुजुर्गो ने कि जब  जहाज  डूबने लगता  है  तो सबसे  पहले  चूहे  अपने बचाव  का तरीका  ढूँढ़ते  है  " चरण  सिंह  ने कहा


दोनों के बीच  काफी बहस  हुयी।

"माँ, मैं जैल  नही जाना चाहता , तू  समझा ना मामा को कि वो कुछ  सोचे  और इस तरह  आपस में लड़ाई  ना करे  " अर्जुन ने कहा

"ना, मेरे बच्चे  मेरे होते हुए तुझे  पुलिस  क्या कोई भी  हाथ नही लगा  सकता , मैं तुझे  जैल  की सलाखों  के पीछे  नही जाने दूँगी  " अर्जुन की माँ ने कहा


"बस  करदो  आप  दोनों यूं इस तरह  कुत्ते बिल्लियों की तरह  लड़ना , यहाँ मुसीबत  सर  पर  मंडरा रही  है और आप  दोनों है  कि एक दूसरे  कि खामिया ढूंढ  रहे  है  कुछ  उपाय निकालो की इस समस्या से कैसे निबटा जाए, वो तो शुक्र है  भगवान  का की उस औरत ने हमें आकर  सब  बता  दिया वरना ना जाने क्या होता अभी  भी  समय  है  कुछ  करो  आप  दोनी मेरे बच्चे  को जैल  की सलाखों  के  पीछे  जाने से बचा  लो, याद रखो  अगर ये जैल  में गया  तो मैं खुद  तुम लोगो के खिलाफ  गवाही  दूँगी  की कैसे तुमने गांव वालो को तंग  किया हुआ है  " अर्जुन की माँ ने कहा सामने लड़  रहे  चरण  सिंह  और कमलेश  से



चरण  सिंह  ने अपनी पत्नि के मुँह से इस तरह की बात सुन कहा " ये तुम्हारा भाई ही हमें इस मुसीबत  से निकाले गा क्यूंकि इसको बेहद  यकीन  था  अपने अफसर होने पर  और अगर तुम लोगो की वजह से मेरा राजनीती  में नाम ख़राब  हुआ तो मैं तुम सब  को खास  कर  इस कपूत  को अपने हाथो  से गोली मारूंगा  और यही  घर  के आँगन में दफन  करवा  दूंगा  "

कमलेश  जो की थोड़ा  खामोश  था  और कुछ  सोच  रहा  था 

"मामा क्या सोच  रहे  हो, इतना खामोश  क्यू खड़े  हो " अर्जुन ने पूछा 

"भांजे  सोच  रहा  हूँ की मुझसे  बगावत  करने  वाले को आखिर  क्या सजा  दू , इस गांव से निकल वा दू  या उसकी नौकरी खतरे  में डलवा  दू , लेकिन उसपर ईमानदारी का चोला  चढ़ा  हुआ हे  उसका इन सब  से कुछ  नही होने वाला " कमलेश  ने कहा

"फिर  मामा क्या होगा, क्या मुझे  जैल  जाना पड़ेगा " अर्जुन ने कहा

"जैल  जाए तेरे दुश्मन , ए कमलेश  कोन्हो उपाय निकाल वरना  मैं कोई और कलाई  ढूंढ लूंगी  राखी बाँधने के लिए  जब  तू  मेरे एकलौते बेटे की मदद  नही कर  सकता  तो तू मेरा भाई  भी  नही हो सकता  " अर्जुन की माँ ने धमकी देते हुए  कहा

"का, जिज्जी इतनी जल्दी बदल  गयी  बेटे के मोह में, अपने भाई  से रिश्ते नाते तोड़ने चली हो, परेशान  मत  हो हर  ईमानदार इंसान की कोई ना कोई कमज़ोरी  होती हे जो उसके उपर  औड़े  गए  ईमानदारी के चोले को उतार फेकने में मदद  करती  हे । इसकी भी  ज़रूर  होगी और मैं उसे ढूंढ  कर  रहूंगा ।" कमलेश  ने कहा


स्पेक्टर सतवीर  अंजली के उस बयान  को लेकर थाने में आ  गए  तभी  उनके मोबाइल पर  किसी का फ़ोन  आता  और उनके चेहरे  पर  एक मुस्कान सी थी । क्यूंकि उस बोतल पर  लगे उंगलियों के निशान  अर्जुन के थे  जो साबित हो गया  था ।

शुक्र हे  भगवान  का की मेरी कोशिश कामयाब हो गयी । चलो  तुम सब  लोग साहूकार के घर  चलो  मुजरिम का पता  चल  गया  हे  उसे उसी के घर  से दबोच  लेंगे और कल  पूरी  पंचायत  और गांव वालो के सामने उसे उसके किए  की सजा  देंगे।स्पेक्टर सतवीर  ने कहा और हाथ में हथ कड़ी  लेकर साहूकर के घर  की और निकल पड़ा।


उसे इस तरह  जाता देख  एक हवलदार  जो की कमलेश  का चमचा  था  उसे फ़ोन  करता  हे ।

कमलेश  जो की परेशान  था  उस हवलदार  का फ़ोन  एक बार में नही उठाता  वो दो तीन  बार करता  तब  जाकर वो उसका फ़ोन  उठाता  और कहता  " कोनसी कयामत  आ  गयी हे  वहा  जो मेरे फ़ोन  काटने पर  भी  बार बार किए  जा रहा  हे  तुम लोग अपनी हैसियत  भूल  बैठे  हो लगता हे  "

"स,,,, स,,,,, साहब  माफ कीजिये बात ही कुछ  ऐसी थी  की मुझे  ना चाहते  हुए  भी  आपके  फ़ोन  काटने के बावज़ूद  आपको फ़ोन  करना  पड़ा ।" उस हवलदार  ने कहा


"अब बताएगा  भी  या ऐसे ही मेरा समय  बरबाद करेगा" कमलेश  ने कहा

"साहब  बात कुछ  यूं हे  की स्पेक्टर सतवीर  कुछ  हवलदारों के साथ  आपके  जीजा जी के घर  आ  रहे  हे  उनके बेटे को गिरफ्तार करने  उस लड़की  ने बयान  दे दिया हे  और अभी  उनके पास किसी का फ़ोन  भी  आया  था  जिसे सुन वो मुस्कुरा रहे  थे  मानो कोई जीत  हाथ लग गयी हो उनके " हवलदार  ने कहा

ये सुन कमलेश  ने अपना आपा  खो दिया और मोबाइल ज़मीन पर  दे मारा और कहा " सतवीर तू जानता नही की तू किस्से पन्गा ले रहा  हे  "

"क्या हुआ साले साहब , आखिर  अब क्या करा  उस स्पेक्टर ने " चरण  सिंह  ने पूछा 


"बहुत  कुछ कर गया  वो जीजा जी, वो मुझसे  भी  दो कदम  आगे  चल  रहा  था  वो आ  रहा  हे  अर्जुन को गिरफ्तार करने  क्यूंकि उस लड़की ने बयान  दे दिया हे  और मुझे  लगता  हे  की उसे पता  चल  गया  हे  की उस बोतल पर  निशान  अर्जुन के थे । इसलिए  वो अब इसे लेने आ  रहा  हे  " कमलेश  ने कहा


"क्या, ऐसा नही हो सकता  मेरे घर  मेरे ही बेटे को पुलिस  लेने नही आ  सकती" अर्जुन की माँ ने कहा

अर्जुन डरते  हुए  बोला " मामा कुछ  कीजिये वरना  वो स्पेक्टर मुझे  ले जाएगा उसके पास सबूत  भी  हे  वो मुझे जैल  के पीछे  डाल कर  रहेगा , मुझे  सलाखों के पीछे  नही जाना मामा कुछ  करो  वरना  मैं अपनी जान दे दूंगा  बता  रहा  हूँ "

"नही बेटा ऐसा कुछ  मत करना , उस मनहूस  लड़की की वजह  से हमारे  हस्ते खेलते  घर  को ना जाने क्या हो गया, आप  कुछ  बोलिये कुछ  करिये किसी को फ़ोन  लगाइये  ताकि मेरे बेटे को कोई जैल  ना ले जा सके" अर्जुन की माँ ने कहा

"इसका अंजाम यही  हे , अगर ये मेरा बेटा नही होता  और मेरा राजनीती करियर  दांव पर  नही होता तो मैं इसे कभी  बचाने  की बात नही करता  कमलेश  कोई तो उपाय जरूर  होगा जिससे उस स्पेक्टर को रोका जा सके, कुछ  सोच  वरना  वो इसे सबके  सामने बेनकाब  कर  देगा और अगर ये बेनकाब  हुआ तो सिर्फ ये ही नही तू और मैं दोनों ही इस गांव से हाथ  धो बैठेंगे  तुझे  तो शायद  निकाल ही दिया जाए थाने  से " चरण  सिंह  ने कहा


"जीजा जी मुझे  कुछ  सोचने  दो, मेरा दिमाग़ काम नही कर रहा  हे  चारो  तरफ  से मुसीबत  ने आ  घेरा  हमको  इस सतवीर  को तो मुझे  जब  ही यहाँ से निकाल देना चाहिए  था  जब मेने इसकी आँखों में ईमानदारी देखी  थी लेकिन कौन जानता था  वो भूल  एक दिन गले  की हड्डी बन  जाएगी और मुझे  ही दर्द पंहुचायेगी । लेकिन कोई नही मेरा नाम भी  कमलेश  हे  अपने भांजे  को तो जैल  की सलाखों के बीच  भेजनें से रहा  कोई ना कोई तो कमज़ोरी  ज़रूर  होगी इसकी भी  " कमलेश  ने कहा


इससे पहले  वो कुछ  और कहता दरवाज़े पर किसी की दस्तक  हुयी तो देखा  दरबान  अंदर  आया  और कहता  हे  साहब  पुलिस  दरवाज़े पर  खड़ी हे  अंदर  आना  चाहती हे ।


ये सुन अर्जुन डर  गया और बोला " पिताजी मुझे  बचा लीजिये मैं वायदा करता  हूँ आज  के बाद कोई गलत काम नही करूंगा  "

चरण  सिंह  ने उसकी तरफ  गुस्से में देखा ।


क्या पुलिस  ले जाएगी अर्जुन को पकड़  कर या चरण  सिंह और कमलेश  उसे रोक लेंगे। जानने के लिए पढ़ते  रहिये  


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10 Comments

Punam verma

21-Jul-2022 09:43 AM

Nice.

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Seema Priyadarshini sahay

18-Jul-2022 04:52 PM

बेहतरीन भाग

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Abhinav ji

17-Jul-2022 09:19 AM

Nice👍

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